प्रयागराज से लंदन तक योग की माया

प्रयागराज से लंदन तक योग की माया

सेहतराग टीम

योग की माया पूरी दुनिया में लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है। एक ओर जहां ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्‍स ब्रिटेन में सरकार की ओर से वित्तपोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में योग का व्यापक इस्तेमाल करने का विचार सामने रखा है वहीं भारत में योग गुरुओं ने आम लोगों के बीच इसके प्रसार को और तेज करने की शुरुआत की है। प्रिंस चार्ल्‍स का मानना है कि योग के व्‍यापक इस्‍तेमाल से राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के तहत स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों पर दबाव कम किया जा सकता है।

राजकुमार चार्ल्स को वैकल्पिक उपचार के उनके समर्थन के लिए जाना जाता है। उन्होंने सप्ताहांत में लंदन में आयोजित स्वास्थ्य देखभाल सम्मेलन के लिए एक लिखित संदेश में योग का पक्ष लिया है। चार्ल्स ने लिखा, ‘हजारों वर्षों तक लाखों लोगों ने यह अनुभव किया है कि योग में उनके जीवन में सुधार लाने की क्षमता है...इससे न केवल व्यक्ति को लाभ मिलता है बल्कि इससे कीमती और महंगे स्वास्थ्य संसाधन ऐसे लोगों के लिए संरक्षित होते हैं जिन्‍हें उनकी सबसे अधिक जरूरत होती है।’ 
दूसरी ओर देश में प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले के दौरान योग की माया देखने को मिल रही है। सोमवार को जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ के कुम्भ मेला स्थित शिविर में प्राणशक्ति योग का अभ्यास कराया गया। इस कार्यक्रम में सिंगापुर, नेपाल के अलावा असम, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

प्राणशक्ति फाउंडेशन, अमेरिका के संस्थापक योगाचार्य अरुण कुमार ने बताया कि प्राणशक्ति योग विद्या के अभ्यास से कोई भी व्यक्ति असीमित ऊर्जा का संचरण कर सकता है। इसके बाद इसी ऊर्जा से वह अपना और अन्य व्यक्तियों के तमाम रोगों का सफलतम इलाज कर सकता है।

योगाचार्य अरुण कुमार ने बताया कि अगर लोग अपनी श्वास प्रक्रिया को अच्छे ढंग से संचालित करें तो अधिकतर रोगों का निदान स्वयं हो सकता है। योगाचार्य ने इस दौरान प्राणशक्ति योग के अभ्यास के तहत सांस लेने और उसे बाहर छोड़ने के क्रम के माध्यम से दिव्य ऊर्जा के संचरण का अभ्यास कराया।

इस मौके पर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि योग भारत की प्राचीनतम विद्या है। हमारे ऋषियों और मुनियों ने इसी के बल पर भारत को विश्व गुरु होने का गौरव प्रदान करवाया था।

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